राजीव दीक्षित की जीवनी
Rajiv Dixit Biography in Hindi

Early life of Rajiv Dixit

Rajiv Dixit राजीव दीक्षित ने अपनी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा उत्तरप्रदेश के फिरोजाबाद से ली थी | अपनी उच्च माध्यमिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वो इलाहाबाद B.Tech पढने के लिए गये | इलाहाबाद में उन्होंने JK इंस्टिट्यूट नामक कॉलेज से उन्होंने B.tech की डिग्री ली और बाद में M.Tech की डिग्री ली थी | इस दौरान भोपाल गैस हत्याकांड से काफी पीड़ित हुए थे जिसकी वजह से उन्होंने बी.टेक बीच में रोक दी लेकिन इसे बाद में पूरा करके उन्होंने अपनी शिक्षा पुरी की थी | अब आइये आपको उनके स्वदेशी आदोंलन से प्रेरित होने की कहानी के बारे में बताते है |
Life Changing Tour

यह संजय अलबेला जागरण पार्टी दिल्ली की ब्लाग की तरफ से है. |
इसके बाद से Rajiv Dixit राजीव दीक्षित को अपनी मातृभाषा के महत्व की समझ आयी कि जब तक आप अपने मौलिक शोध के बारे में अपनी मातृभाषा में नही बोलेंगे तब तक आपको कोई नही समझ पायेगा | इसके बाद उन्होंने गहन चिन्तन किया और हिंदी पर अपनी पकड़ बनाना शुरू किया क्योंकि बचपन से अंग्रेजी विध्यालयो में पढने की वजह से उनकी आदत अंग्रेजी भाषा की बनी हुयी थी | वही पर उन्होंने अन्य देशो एक वैज्ञानिको से उनकी शिक्षा पद्दति के बारे में प्रश्न किया तो उन्होंने बताया कि उनकी शिक्षा पद्धति उनकी मातृभाषा में होती है | तब राजीव दीक्षित ने सोचा कि अगर दुसरे सभे देश अपनी मातृभाषा में उच्च शिक्षा लेते है तो भारत में शिक्षा पद्दति का अंग्रेजीकरण क्यों है और इसका निदान कैसे किया जाए | इसके बाद वो भारत की शिक्षा पद्धति की खोज में लग गये |
Sanjay Albela Jagran party Delhi NCR
आजादी बचाओ आन्दोलन

इस कम्पनी को उस समय जब भारत सरकार ने माफ़ कर दिया तब इसको देश से बाहर निकालने के लिए इस अभियान की शुरुवात की गयी थी | इस अभियान ने राजीव दीक्षित और उनके साथी सफल रहे और उस कम्पनी को देश छोडकर भागना पड़ा था | इसके बाद उन्होंने कारगिल , dupont जैसी बड़ी कंपनियों को इस देश से भगाया था | इसके बाद 1991 में उन्होंने डंकल प्रस्ताव के विरोध में कई व्याख्यान और जन रेलिया की थी क्योंकि इस प्रस्ताव के तहत अनेको विदेशी कंपनियों को भारत में व्यापार करने की अनुमति मिलने वाली थी | जब इस डंकल प्रस्ताव का अध्यक्ष आर्थर डंकल भारत आया तो एअरपोर्ट पर ही Rajiv Dixit राजीव दीक्षित और उनके साथियो ने डंकल के साथ मारपीट की थी जिसकी वजह से उन्हें तिहाड़ जेल जाना पड़ा था |
जब वो तिहाड़ जेल में गये थे उस समय तिहाड़ जेल की पुलिस अधीक्षक किरण बेदी थी | वहा पर जेल में रहते हुए उन्होंने बॉडी मार्क चैक करवाने के लिए कपड़े उतरवाने के नियम का विरोध किया था | अब उन्होंने इस नियम के विरोध में किरण बेदी से इस नियम के नियमावली प्रपत्र को पढने की बात कही | किरण बेदी ने बड़ी मुश्किल से उस नियमवाली पत्र को राजीव दीक्षित तक पहुचाया | ये नियमावली पत्र 1860 का बना हुआ था जिसमे सांफ लिखा हुआ था कि इस नियम का उपयोग अंग्रेज भारतीयों का अपमान करने के लिए करते थे | उस समय अंग्रेजो का उद्देश्य कैदी की जांच करने से ज्यादा अपमान करना था ताकि वो ज्यादा विरोध ना करे | इस पत्र को पढकर उनके मन में अंग्रेजो के नियमो को अब तक अपनाये जाने पर अफ़सोस हुआ था और इसपर उन्होंने जेल से छुटने के बाद रिसर्च किया था |
इतिहासकार धर्मपाल से मुलाकात Rajiv Dixit Meets Professor Dharmpal

संजय अलबेला जागरण पार्टी दिल्ली
Rajiv Dixit राजीव दीक्षित ने अपने शोधो में पाया था कि अंग्रेजो ने 34,735 कानून भारत को लुटने के लिए बनाये थे और उनका कहना था कि भारत सरकार आज भी वो सारे कानून चला रहा है जो अंग्रेजो ने अपनी सुविधा के लिए बनाये थे | राजीव दीक्षित ने बताया था कि इन्ही अंग्रेजो के नियमो की वजह से भारत में भ्रष्टाचार ,गरीबी , भुखमरी जैसी समस्याए है | उनका कहना था कि 15 अगस्त 1947 को केवल सत्ता का हस्तांतरण हुआ था जबकि भारत को आजादी नही मिली थी | उनका कहना था कि स्वतंत्रता का अर्थ अपने बनाये हुए नियमो और व्यवस्थाओ में जीना है लेकिन 1947 में एक भी नियम खुद के तन्त्र का नही बना हुआ है |
सिंगर संजय सिंह अलबेला
योग गुरु बाबा रामदेव से मुलकात

1 अप्रैल 2009 को भारत स्वाभिमान का उद्घाटन हुआ था जिसे आस्था टीवी चैनल पर सीधा प्रसारित किया गया था | यही से उनकी लोकप्रियता चरम सीमा पर पहुच गयी थी और देश के करोड़ो लोग उनके व्याख्यान सुनने लगे | उनके व्याख्यान इतनी सरल भाषा में होते थे जिनको समझना बड़ा आसान था | उनके व्याख्यानों से देश के लोगो को भारत का वास्तविक इतिहास और स्वदेशी की महता का पता चला था | उन्होंने इस भारत स्वाभिमान के तहत कई विदेशी कंपनियों का खुलासा किया था जो भारत को अनेक वर्षो से लुट रही है | उनको राजीनीतिक पार्टियों से भी आपत्ति थी और उन पर खुलकर प्रहार करते थे | इसी के साथ उन्होंने अंग्रेजी शिक्षा पद्धति , देश के सविधान ,कानून प्रणाली जैसे कई मुद्दों पर तथ्यों के साथ अपने व्याख्यान दिए थे | संजय अलबेला जागरण पार्टी दिल्ली
राजीव दीक्षित की मृत्यु Rajiv Dixit Death

आश्रम में आकर वो सीधा शौचालय में गये | काफी देर बाद जब राजीव जी बाहर नही निकले तो दरवाजे को तोडा गया | उस समय राजीव जी पसीने से भीगे हुए बेहोश होकर नीचे पड़े हुए थे | उन्हें तुरंत उठाकर बिस्तर पर लेटाया गया | और पानी छिड़का गया | आचार्य दयासागर ने उन्हें तुरंत अस्पताल जाने को कहा लेकिन Rajiv Dixit राजीव दीक्षित ने ये कहकर मना कर दिया कि वो होम्योपैथी डॉक्टर को दिखायेंगे | थोड़ी बार बाद होम्योपैथी डॉक्टर ने आकर उन्हें दवाइया दी | फिर भी उनकी तबीयत में सुधार ना होने पर उन्हें अस्तपाल में भर्ती कराया गया | इसके बाद उन्हें अपोलो होस्पिटल ले जाया गया | अब उन्हें ICU में भर्ती कराया गया जहा पांच डॉक्टरो की टीम उनके साथ थी | उस रात 30 नवम्बर 2010 को 1 से 2 के बीच डॉक्टरो ने राजीव दीक्षित को मृत घोषित कर दिया |
Rajiv Dixit राजीव दीक्षित के मृत्यु के अज्ञात कारणों के बावजूद बिना पोस्टमार्टम कराए जनता तक ये बात पहुचाई गयी कि उनकी मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुयी थी | राजीव दीक्षित के कई साथियों का मानना है कि उनकी मृत्यु विष के कारण हुयी थी क्योंकि मृत्यु के समय उनका शरीर नीला पड़ गया था लेकिन फिर भी उनका पोस्टमार्टम नही कराया गया था | अब उनकी मृत्यु के बाद उनके छोटे भाई प्रदीप दीक्षित भी वहा पर पहुचे | अब स्वामी रामदेव ने राजीव दीक्षित के मृत्यु की खबर को अपने योग शिविर के माध्यम से देश की जनता तक पहुचाया था | उसके बाद भिलाई से राजीव दीक्षित के पार्थिव शरीर को रायपुर मेडिकल कॉलेज में लाया गया | यहा से उनके भाई प्रदीप दीक्षित राजीव दीक्षित के पार्थिव शरीर को पातंजली योगपीठ लेकर आये | यहा पर उनके परिवार और उनके प्रश्न्शको ने उनके अंतिम दर्शन किये थे | उसके बाद 1 दिसम्बर को राजीव दीक्षित का दाह संस्कार खनखल हरिद्वार में किया गया |
Rajiv Dixit राजीव दीक्षित की मृत्यु के बाद उनके चाहने वालो ने राजीव दीक्षित के पोस्टमार्टम न किये जाने पर विरोध प्रकट किया था क्योंकि उनका मानना था कि आयुर्वेद को इतना करीब से जानने वाले को दिल का दौरान कैसे पड़ सकता है जबकी वो वर्षो से दिल के दौरे के लक्ष्ण और उपाय बता रहे थे | उनके प्रशंशक इस घटना के पीछे किसी अज्ञात ताकत का हाथ बता रहे थे जिसका पता नही चल सका और उनकी मृत्यु हमेशा के लिए एक रहस्य बन गयी | इस तरह राजीव दीक्षित ने केवल देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी और उन्हें बर्तमान भारत का राष्ट्रभक्त कहा जता है |
मित्रो Rajiv Dixit राजीव दीक्षित भले ही इस दुनिया में नही रहे लेकिन आप उनके व्याख्यानों से देश को विकास के मार्ग पर ले जा सकते है | स्वदेशी आन्दोलन और भारत स्वाभिमान के सभी सदस्यों सहित मेरा यह विनम्र अनुरोध है कि आप राजीव दीक्षित के स्वदेशी आन्दोलन अभियान को आगे ले जाए और देश में भारत स्वाभिमान की अलख जगाए| मैंने भी बचपन में एक बार उनका व्याख्यान सुना था जब वो हमारे विध्यालय में व्याख्यान देने आये थे | उस समय उन्होंने पेप्सी और कोका कोला जैसी सॉफ्ट ड्रिंक्स के बुरे प्रभाव के बारे में बताया जो आज भी मुझे याद है | तभी से मैंने ना केवल सॉफ्ट ड्रिंक अक त्याग बल्कि स्वदेशी वस्तुओ का उपयोग भी शुरू किया | मैंने भी अपने पुराने लेखो में स्वदेशी वस्तुओ के उपयोग और विदेशी कंपनियों की लुट पर लेख लिखा था | आप भी केवल स्वदेशी वस्तुए अपनाकर उनका सपना साकार कर सकते है | राजीव जी दीक्षित को शत शत नमन् | जय हिन्द जय भारत
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